22 अगस्त को दोपहर लगभग तीन बजे नगर निगम में अपना पदभार संभालने की सूचना दी गई थी, जिसके चलते ऊषा शर्मा के समर्थक और मीडिया कर्मी निगम कार्यालय में तय समय से पहले ही जुट गए थे। जैसे ही घड़ी ने तीन बजे का संकेत किया, लोग उत्सुकता से उनके आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। हालांकि, ऊषा शर्मा निर्धारित समय से करीब पौना घंटे देरी से नगर निगम के परिसर में दाखिल हुईं, और उनकी कार पर “मेयर” की पट्टिका लगी हुई थी। जैसे ही उन्होंने कार से बाहर कदम रखा, उनके स्वागत के लिए शुभकामनाएं देने वालों की भीड़ लग गई। उनके समर्थन में जुटे लोग और मीडिया कर्मियों का उत्साह देखते ही बनता था, जो उनके पदभार ग्रहण की प्रतीक्षा में सजीव हो उठे थे।
जैसे ही ऊषा शर्मा नगर निगम कार्यालय की पहली मंजिल पर पहुंचीं, वे समर्थकों और मीडिया कर्मियों के कैमरों के घेरे में आ गईं, जो पहले से ही उनके आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे। उनकी आँखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान के साथ, उन्होंने शुभकामनाएं देने वालों से बुके और मिठाई स्वीकार की। कार्यालय के प्रवेश द्वार पर पहुंचकर, उन्होंने श्रद्धा पूर्वक सिर झुका कर अपने नये कार्यस्थल का आभार जताया।
आगे बढ़ते हुए, उन्होंने अपनी कुर्सी के पास पहुंची, जहां दीवार पर मां शूलिनी का एक सुंदर चित्र टंगा हुआ था। मां शूलिनी को प्रणाम करने के बाद, ऊषा शर्मा ने कुर्सी के सामने खड़े होकर मीडिया से बातचीत शुरू की। उनकी आवाज में भावनाएं स्पष्ट रूप से झलक रही थीं, और उन्होंने इस संघर्षपूर्ण यात्रा में जनता और अपने पति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रारंभिक सफलता का श्रेय उन्हें ही जाता है।
उनकी आवाज में रुंधापन साफ दिख रहा था, लेकिन भावनाओं को नियंत्रित करते हुए उन्होंने कहा कि वे अपनी इस दूसरी पारी को नगर निगम क्षेत्र के समग्र विकास को समर्पित करना चाहती हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे नगर निगम के किसी भी वार्ड के साथ पक्षपात नहीं करेंगी और समूचे नगर के समान विकास को अपनी प्राथमिकता बनाए रखेंगी।